देश की संतति को दी जाने वाली शिक्षा समाज की उन्नति पर दृष्टिगोचर होती है।
भारत अपने आस पास होने वाले नाटकीय बदलाव को महसूस कर रहा है। अब हम एक अग्रणी विकासशील देशों में गिने जाते हैं और विश्व में होने वाले सूचना एवं प्रोद्योगिक क्षेत्र में आई क्रांति का हिस्सा बन रहे हैं। चाहे यह यूनाइटेड स्टेट्स हो, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया या मिडिल ईस्ट, भारत अपने ज्ञान व कड़ी मेहनत से अग्रणी कंपनियों में ऊँचे पदों को हासिल करने में सफल रहे हैं।
इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि इसका सारा श्रेय शिक्षा तंत्र को जाता है। भारतीय शिक्षा तंत्र सरकारी व प्राइवेट शिक्षा के सम्मिश्रण से बनी है। जहाँ प्राइवेट स्कूलों द्वारा दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता सरकारी स्कूलों से बेहतर होती है।
वर्तमान में दी जाने वाली उच्च शिक्षा ने रुपये 46,200 करोड़ (यू एस $ 6.93) अरब है) और आशा की जाती है कि अगले दस सालों में यह 18% की बढ़त के साथ 232,500 करोड़ (यू एस $ 34.87 अरब) हो जाएगा।
बजट में 2016-17 वित्तीय वर्ष के शिक्षा बजट के मुकाबले 9.9% बढ़त (72.394) करोड़ (यू एस $ 10.859 अरब ) के मुकाबले 2-17-18 वित्तीय वर्ष में 79,685.95 करोड़ (बजट में २०१७-१८ में शिक्षाक्षेत्र के लिए ७९, ६८5 करोड़ (यू एस $११.९५२ अरब) हो गया है।
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बिज़नेस प्लान : जब किसी ने प्राइवेट स्कूल खोलने का निश्चय कर लिया हो, स्कूल खोलने से पहले यह चुन ले कि आप किस श्रेणी के विद्यार्थियों के लिए स्कूल खोल रहे हैं। आप प्ले स्कूल, डे केयर, क-१२ या प्राइमरी या सेकंडरी स्कूल खोलना चाहते हैं।
अगले दस साल में होने वाले लाभ व निवेश की रणनीति बनाते हुए बिज़नेस प्लान का सृजन किया जा सकता है। इसके बाद आपको बैठकर बिज़नेस प्लान बनाई जाती है।
मैनेजमेंट समिति
अब जब बिज़नेस प्लान की रूप रेखा बन गयी हो। अब समय है कि आप एक समिति बनाएं। यह ध्यान में रखें कि समिति में स्वास्थ्य, शिक्षा, कानूनी क्षेत्र से, लेखा शास्त्र से, निर्माण क्षेत्र से हो।
ज़रूरी कागज़ात
प्राइवेट स्कूल खोलने से पहले दो सालों में थोड़ा या अधिक निवेश कि ज़रूरत हो सकती है। समय, ऊर्जा व धन लगाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। आपको शिक्षा विभाग को लिखित में देना होगा कि आप क्यों, कहाँ, कैसे और कब स्कूल लेकर आ रहे हैं। यह कैसे उस क्षेत्र के लोगों के लिए लाभदायक हैं।
पर्यावरण अनापत्ती पत्र
चूंकि आपके ऊपर बहुत सारे बच्चों की ज़िम्मेदारी होगी, जो न सिर्फ वहाँ अपनी ज़िंदगी के महत्वपूर्ण घंटे गुजारेंगे बल्कि सांस भी लेंगे। अत: पर्यावरण संबंधी अनुमति प्रमाण पत्र लेना होगा।
संबद्धता प्रमाण पात्र लेना भी आवश्यक होगा, क्योंकि इसके बिना न तो वह कोई भी पब्लिक परीक्षा दे पायेगा और न ही इस विशेष पाठ्यक्रम का लाभ उठा पाएंगे।
जमीन का आवंटन
पूरे इतने बड़े केम्पस की स्थापना के लिए बहुत ज्यादा ज़मीन की ज़रूरत होगी, जहां स्कूल कि बिल्डिंग, खेल का मैदान, पार्किंग स्थल, पीने के पानी व एक ऑडिटोरियम की ज़रूरत के लिए उस ज़मीन के टुकड़े पर जगह चाहिए होगी। इसके लिए आपको डीडीए से ज़मीन खरीदनी होगी। इन सब चीज़ों को तय करने के बाद आप निर्माण व विद्यार्थियों के दाखिले के लिए आगे बढ़ सकते हैं।